10 August, 2008

कुमारेंद्र पारसनाथ सिंह के काव्य संग्रह ‘बोलो मोहन गाँजू’ का लोकार्पण

-अच्युतानंद मिश्र

गत 5 अगस्त को साहित्य अकादमी के सभागार में वरिष्ठ क्रांतिकारी कवि स्वर्गीय कुमारेंद्र पारसनाथ सिंह के चौथे संग्रह ‘बोलो मोहन गाँजू’ का विमोचन कार्यक्रम हुआ. कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि-कथाकार-आलोचक विष्णुचंद्र शर्मा ने की. उन्होंने कहा कि कुमारेंद्र ने इस संग्रह में नव-उपनिवेशवाद के खतरे सामने रख दिए हैं. पूरी कविता को मैं एक बड़े नाटक के रूप में देखता हूँ. ये वैश्विक संघर्ष से जुड़ी कविताएँ हैं. कविता में जो चरित्र आए हैं वे अफ्रीका में, लैटिन अमरीका में मिल जाएँगे. ध्यान से अगर कुमारेंद्र के कविता कर्म को देखें तो मध्यवर्ग से लगातार संघर्ष उनमें दिखेगा.
आलोचक जवरीमल पारख ने कहा कि कुमारेंद्र की इन कविताओं को पढ़ते हुए लगता है कि कवि लोगों से बात कर रहा है. ये एक तरह की संवादपरक कविताएँ हैं. ये ऐसी कविताएँ हैं जहाँ शहरी मध्यवर्ग की गर्मागर्मी वाली बहस नहीं है बल्कि ये ऐसी कविताएँ हैं जहाँ कवि कुछ सिखाता है, खुद कुछ सीखता है. ये आदिवासियों के व्यापक अनुभव को कविता में तबदील करने वाली राजनीतिक कविता है. इसलिए इन कविताओं में आदिवासियों के जीवन के विस्तार और संकट को रेखांकित किया गया है.
आलोचक डॉ.गोपेश्वर सिंह ने पटना के काफी हाउस में कुमारेंद्र के साथ बिताए क्षणों को याद करते हुए कहा कि हिंदी में जिन कवियों से मैं अत्यंत गहरे रूप में जुड़ा हूँ कुमारेंद्र उनमें पहले नंबर पर आते हैं. वे बहुत मजबूत काव्य चिंतक भी थे. उन्होंने आलोचक आनंद प्रकाश के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कुमारेंद्र के अप्रकाशित साहित्य को प्रकाश में ला कर वे एक महान कार्य कर रहे हैं. उल्लेखनीय है कि इस संग्रह का संपादन एवं संकलन आनंद प्रकाश ने किया है.
वरिष्ठ कवि असद जैदी ने कहा कि कुमारेंद्र के सजीले व्यक्तित्व की छाप मेरे मन पर हमेशा बनी रहेगी. उन्होंने कहा कि पुस्तक की भूमिका पुस्तक का अभिन्न अंग प्रतीत होती है, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पुस्तक पढ़ते हुए खुशी और बेचैनी दोनों से भर गया. यह संग्रह समकालीन हिंदी कविता का एक दुर्लभ नगीना है.
कुमारेंद्र की कविताओं का पाठ कवियित्री अनामिका, पायल नागपाल एवं अशोक तिवारी ने किया. खचाखच भरे सभागार में कविता का जादू सर चढ़ कर बोल रहा था. कार्यक्रम का आयोजन साहित्यिक संस्था ‘पीपुल्स विज़न’ और ‘लोकमित्र’ प्रकाशन ने किया. कार्यक्रम का संचालन वेद प्रकाश ने किया और अंत में पीपुल्स विज़न के सचिव रामजी यादव ने धन्यवाद ज्ञापित किया.